शबे बरात की इबादत का सुबूत

🔵 आज का सवाल 08🔵

क्या शबे बरात में नमाज़ और दिन में रोज़े का सुबूत साबित है?
कुछ लोग कहते हैं इस की रिवायत बहुत ज़ईफ़ है लिहाज़ा इस रात का मानना सहीह नहीं क्या ये बात सहीह है? 

🔴जवाब🔴

शबे बरात में बिला किसी क़ैद व खुसूसियत के मुताल्लिक नमाज़ का सुबूत है (रात के किसी खास वक़्त में किसी खास तरीके से के फुलां सूरत इतनी मर्तबा पढ़ो इस तरह की नमाज़ साबित नहीं) हर शख्स अपने तौर पर इबादत करे, जिस में किसी नुमाइश (रियाकारी) और किसी रस्म और आयते मख़सूसाह (मस्जिद ही में इजतमई शकल बनाकर नमाज़ पढ़ना नवाफिल की जमात करने) की पाबन्दी न हो तो मुस्तहसन (पसन्दीदाह) है.

*सुबूत* 

हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जब 14 शाबान की रात हो तो उस की रात में नमाज़ और उस के दिन को रोज़ा रखो अल्लाह ताला सूरज डूबने के वक़्त (रोज़ाना रात के तीन हिस्से गुज़रने बाद) आसमान दुनिया की तरफ मुतवज्जह होते है और फरमाते है 
"है कोई मगफिरत चाहने वाला के उसे मुआफ करू, है कोई रिज़्क़ चाहने वाला के उसे रिज़्क़ आता करू, है कोई परेशां हाल के उस की परेशानी दूर करू, है कोई ऐसा, है कोई वैसा, यहाँ तक के सुबह सादिक़ हो जाती है. 

📕इब्ने माजह किताब इक़ामतीस सलात बाबु मा जा फी लैलतीं निस्फी मिन शाबान सफा 11 क़दीमी

📔फतवा महमूदियाः 3/264 

गैर मुक़ल्लिद के बड़े अल्लम्ह नासिर अल्बानी ने रिवायत नक़ल की है के हज़रत मुआज बिन जबल रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : अल्लाह ताला 14 शाबान की रात में अपनी मख्लूक़ की तरफ मुतवज्जह होते है और मुशरिक और दिल में किना रखनेवालों के अलावह सब की मगफिरत कर देते है
📗तबरानी इब्ने हिब्बान

ये रिवायत 7 सहाबा से मुख्तलिफ सनद से मरवी है लिहाज़ा ये हदीस बेशक सहीह है, आगे लिखते है के सख्त ज़ईफ़ होने से ये हदीस सलामत है, शेख क़ासमी रहमतुल्लाहि अलैहि ने इस्लाहुल मसजिद सफा 107 पर उलमा ए जारहो तदील के हवाले से जो लिखा के 15 शाबान की रात की इबादत किसी भी सहीह हदीस से साबित नहीं ये कहना सिर्फ जल्द बाज़ी और हमारी तरह हदीस के तुरुक और उस की तहक़ीक़ की खूब मेहनत न करने का नतीजाः है.
📘फ़ज़ाईलुलैलतीं निस्फी मिन शाबान सफा 22

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